Drx. Ravi Varma
भारत एक कृषि प्रधान देश है , जिसकी दो तिहाई से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है तथा 70 % लोग खेती पर निर्भर है ! किसान हमेशा अच्छी फसल के लिए अच्छे मौसम पर निर्भर करता है ! अगर सही समय पर मौसम किसान का साथ देता है तो फसल की पैदावार भी अच्छी होती है जिससे कि न केवल उसके परिवार की बल्की सम्पूर्ण देश के लोगों का भरण पोषण होता है ! अर्थात् फसलों की अच्छी पैदावार अच्छे जलवायु एवं मौसम पर पूर्णरूपेण निर्भर करती है । कृषि की दृष्टि से देखा जाए तो तीन प्रकार के मौसम होते हैं , पहला खरीफ , दूसरा रबी एवं तीसरा जायद ! खरीफ का मौसम मानसून आने के तुरंत बाद शुरू होता है । खरीफ की फसल लेने के लिए किसान को हमेशा मानसून अथवा वर्षा ऋतु पर निर्भर होना पड़ता है ! इसके बाद रबी का मौसम आता है जिसमें फसलों को अधिक शीत मौसम की आवश्यकता होती है तथा अंत में जायद का मौसम आता है जिसमें अधिक गर्म मौसम की आवश्यकता होती है ! आज के इस दौर में किसान भाईयों के सामने एक सबसे बड़ी समस्या बनकर खड़ी है जिसका नाम है ' जलवायु परिवर्तन ' अथवा ' अचानक मौसम का बदलना ' ! आजकल बहुत अधिक देखने को मिला है कि कभी भी अचानक मौसम में परिवर्तन होने लगता है अर्थात कभी भी बारिश का बिन मौसम बरसना , तेज हवाओं का चलना , मौसम की अवस्थाओ मे अचानक परिवर्तन होना आदि ! जलवायु परिवर्तन एक ऐसी समस्या बनकर उभरी है जिसका निराकरण मुश्किल है ! जैसे अगर किसी किसान की फसल खेत में खड़ी हैं जो कि बारिश अथवा खरीफ के मौसम में नहीं होती है उस समय बारिश होती है तो फसल को काफी नुकसान होता है ! उदाहरण के लिए किसी किसान ने गेंहू अथवा चना जो कि रबी की फसल है | जिसे अच्छी बढ़वार के लिए शीत मौसम की जरूरत होती है लगा रखी है तब अचानक से बारिश के होने से उस फसल की पैदावार प्रभावित होती है जिसका उस समय समाधान करना आसान या सम्भव नहीं हो पाता ! कभी - कभी अचानक तेज हवाओं का चलना जिससे कि मुख्य फसलों के साथ साथ सभी प्रकार की फसले एक साथ लेट जाती है जिसके परिणामस्वरूप फसलों में नुकसान देखने को मिलता है ! आज के दौर में जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरी है जिसका अभी तक कोई भी सफल वैज्ञानिक समाधान नहीं निकला है परंतु किसान अपने क्षेत्र में कुछ विशेष फसलों को पाली हाऊस विधि , बहु फसलीय विधि , या मिश्रित फसल विधि आदि से कुछ हद तक लगाकर बहुत बड़ी मात्रा में होने वाले नुकसान को कुछ हद तक बचा सकता है ! तेज हवाओं का सबसे अधिक प्रभाव केले की खेती पर होता है जिससे पूरी केले की फसल गिर जाती है एक बार फसल के गिरने के बाद उससे दोबारा उपज नहीं ली जा सकती परिणामस्वरूप नुकसान काफी अधिक मात्रा में होता है जिसकी भरपाई आसान नहीं होती है ! जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या से लड़ने के लिए हमेशा कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जिस भी क्षेत्र में फसल लगाना है वहां की जलवायु कैसी है , फसल की ऐसी प्रजातियों का चयन जो वहां की जलवायु के अनुकूल हो ताकि फसलो को नुकसान ना हो सके ! समय समय पर कृषि विशेषज्ञ या कृषि सलाहकार से संपर्क करना चाहिए जिससे कि फसल मे होने वाले नुकसान को कम किया जा सके ! कृषि विशेषज्ञ एवं कृषि सलाहकार समय समय पर किसानों को प्रशिक्षण के द्वारा या सम्पर्क के द्वारा मौसम एवं फसलो से संबंधित जानकारियां प्रदान करवाते हैं ! सभी किसान भाईयों के लिए यह जरूरी है कि सभी छोटे छोटे कारगर उपाय करते रहे जिससे अचानक होने वाले जलवायु परिवर्तन के नुकसान से फसल को प्रभावित होने से बचाया जा सके । बहुत अधिक