Drx. Ravi Varma
मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के अनुसार आगामी 3-4 दिनों में तापमान गिरने एव पाला पड़ने की पूरी संभावना है
ईस दौरान कैसे बचाये किसान पाले से अपनी फसलों को
1.लो टनल लगा कर
2.सिचाई कर के
3. धुँआ कर के
4. गन्धक् के तेजाब का 0.1% का छिडकाव कर के
5. वायु रोधक पौधे या दिवार बना कर
6. टाटी बाँध कर या डक कर
पाले से नुकसान और पाला पडने की सम्भवना
1. शीतलहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को थोड़ा नुकसान होता है। टमाटर, मिर्च, बैंगन आदी सब्जियों पपीता एवं केले के पौधों एवं मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम आदि वस्तुओं से सबसे ज्यादा 80 से 90% तक नुकसान हो सकता है। अरहर में 70%, गन्ने में 50% एवं गेहूं तथा जौ में 10 से 20% तक नुकसान हो सकता है
2. पौधे व फसल पर पाले के प्रभाव से फल मर जाते है व फूल झड़ने लगते है। प्रभावित फसल का हरा रंग समाप्त हो जाता है तथा पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखता है ।ऐसे में पौधों के पत्ते सड़ने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है । पत्ती, फूल एवं फल सूख जाते है। फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं व स्वाद भी खराब हो जाता है। पाले से प्रभावित फसल , फल व सब्जियों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। सब्जियों पर पाले का प्रभाव अधिक होता है। कभी-कभी शत प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है।
3.फलदार पौधे पपीता, आम आदि में इसका प्रभाव अधिक पाया गया है। शीत ऋतु वाले पौधे 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक का तापमान सहने में सक्षम होते है। इससे कम तापमान होने पर पौधे की बाहर व अन्दर की कोशिकाओं में बर्फ जम जाती है।पाला पहाड़ के बीच के क्षेत्रों में अधिक पड़ता है।
4. पाले के कारण अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी हो जाती है। पत्ते ,टहनियां और तन के नष्ट होने से पौधों को अधिक बीमारियां लगती है।
@ पाले से फसलो को बचाने के उपाय
1. लो टनल एक बहुत ही महत्व पूर्ण तकनिकी है जिससे सब्जियाँ ( आलू ,टमाटर,गोभी,मटर,
इत्यादि)को पाले से बचाने के लिए काम में लेते हैं जिससे किसान एडवांस फसल और सब्जियां के कर अधिक मुनाभा कमा सके इस तकनिकी में अर्दचन्द्राकार सरिये लगा कर उस पर कपड़ा या पॉलीथिन की सीट बीछा कर लगते हैं
इस तकनिकि में किसान बुवाई ट्रेन्च की उत्तर दीशा में सरक ने की टाटि बाँध दिया करते हैं जिसका झुकाव दक्षिण दिशा में रखा जाता है ताकि उत्तर की तरफ से आने वाली ड्न्डि हवाओं से फसल को बचाया जा सके
2.जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो उस रात 12:00 से 2:00 बजे के आस-पास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई हुई फसल के आसपास, मेड़ों पर रात्रि में कूड़ा-कचरा या अन्य व्यर्थ घास-फूस जलाकर धुआं करना चाहिए, ताकि खेत में धुआं हो जाए एवं वातावरण में गर्मी आ जाए।धुआं करने के लिए उपरोक्त पदार्थों के साथ क्रूड ऑयल का प्रयोग भी कर सकते हैं। इस विधि से 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ाया जासकता है।
3.पौधशाला के पौधों एवं क्षेत्र वाले उद्यानों/नकदी सब्जी वाली फसलों को टाट, पॉलिथीन अथवा भूसे से ढ़क दें।
वायुरोधी टाटिया को हवा आने वाली दिशा की तरफ से बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाएं तथा दिन में पुनः हटा दें।
4.पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई करनी चाहिए। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापमान कम नहीं होता है। इस प्रकार पर्याप्त नमी नहीं होने पर शीतलहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है।
सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है।
5.जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1% घोल का छिड़काव करना चाहिए। इस हेतु 1 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़काव का असर 2 सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब के छिड़काव को 15-15 दिन के अंतराल पर दोहराते रहे।
सरसों , गेहू, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है बल्कि पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है,जो पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।
6.दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, एवं जामुन आदि लगा दिए जाए, तो पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है