Drx. Ravi Varma
चना की फसल में कीट प्रबंधन
चना की फसल में अनेक प्रकार के कीड़ों का प्रकोप होता है जिनका उचित समय पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है
दीमक -:
यह किट फसल बुवाई से लेकर कटाई तक भारी मात्रा में हानि पहुंचाता है यह रेतीली तथा अदनामी वाली मृदा में ज्यादा हानि पहुंचाता है
नियंत्रण -:
-: पिछली फसल के डंठल को अवश्य निकाल दें।
--: गोबर की कच्छी खाद का प्रयोग ना करें।
-: बीजों को 4ml प्रति किलग्राम के हिसाब से क्लोरोपायरीरीफाश से उपचारित करें।
-: खड़ी फसल में क्लोरोपायरीरीफाशक 20 ईसी 1-1.5 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से सिंचाई के साथ डालें।
-कटुआ सुंडी-:
-इसकी लट्ठे क्या सुंडी मिट्टी में डीलरों के नीचे छिपी रहती है पता रात में पौधों की जड़ों को काटकर नुकसान पहुंचाती है
नियंत्रण -:
आवश्यकतानुसार 80ml फैनवेलरेट 20 E.सी या 50 ml साइपरमैथरीन मैं 20 EC या 150 ml डेकामेथरिन्न 2.8 E.C ko 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
फली छेदक कीट -:
इस कीट का प्रकोप फली आने पर अधिक होता है इसकी सुंडी फली के अंदर घुसकर उस में बन दाने को खा कर नष्ट कर देती है इसकी कीट की एक सुंडी अपने जीवन काल में लगभग 30 से 40 फलिया का जाती है इसकी सुंडी शुरू में हरी पत्तियों को खाकर हानि पहुंचाती है 20 का नियंत्रण नहीं करें या प्रकोप है देखो तो 70 - 75 पर्सेंट पैदावार में कमी आती है